Bajrang Baan | बजरंग बाण के जप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं

Bajrang Baan | बजरंग बाण के जप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं . अतुलित बल धारण करने वाले तथा सर्वगुण सम्पन्न हनुमान जी सभी प्रकार के परेशानियों को शीघ्र ही नष्ट करने वाले के रूप में प्रतिष्ठित है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। हनुमान जी के चौपाई या उनके नाम मात्र के स्मरण से भक्त के सूक्ष्म शरीर में ऊर्जा का संचार होने लगता है और जातक ऐसा महशुस करने लगता है की अब हमारी सभी समस्या शीघ्र ही समाप्त होने वाली है ।वर्तमान समय में हनुमान जी ही पृथिवी पर भगवतरूप में साक्षात् दर्शनीय है अन्य देवी देवता तो प्रतीक रूप में स्थित हैं। हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या के दाता तथा क्लेश को हरण करने वाले हैं। हनुमान चालीसा के दूसरे दोहे में ही कहा गया है –

‘बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौ पवन कुमार, बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहिं हरहु कलेश विकार।’

अर्थात् मैं अपने आप को बुद्धहीन मानकर, आपका स्मरण कर रहा हूं कि आप मुझे बल, बुद्धि, विद्या प्रदान करें तथा मेरे सभी परेशानियों और दोषों को शीघ्र ही दूर कर दें। भक्तजन अपनी-अपनी समस्या से शीघ्र ही छुटकारा पाने के लिए बजरंगबाण, हनुमान चालीसा इत्यादि का पाठ करके स्वस्थ होते हैं।

Bajrang Baan | बजरंग बाण के जप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं

Bajrang Baan | बजरंग बाण का पाठ क्यों और कब-कब करें?

बजरंग बाण का पाठ व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों एवं बाधाओं से मुक्ति पाने तथा भौतिक सुख की प्राप्ति हेतु किया जाता है। कहा गया है —

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

अर्थात् जो भक्त प्रेम तथा विनय पूर्वक बजरंग बाण का नियमित पाठ करता है  उनके सभी कार्यो का निष्पादन हनुमानजी शीघ्र ही करते है। यही नहीं बजरंग बाण पाठ में एक स्थल पर कहा गया है —-

पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥

अर्थात् यदि कोई व्यक्ति मृत्यु देने वाले रोग से भी ग्रसित हैं तो बजरंग बाण का पाठ करने से जातक मृत्यु को भी पराजय कर देता है। बजरंग बाण हमें शारीरिक कष्ट, दरिद्रता, भूत-प्रेत आदि से भी रक्षा करता है। जो भी व्यक्ति या जिस भी घर, परिवार में बजरंग बाण का नियमित रुप से होता है उस व्यक्ति के पास तथा उस घर में कभी भी कोई कष्ट या बाधा नहीं आती है। ऋणमोचक मंगल स्तोत्र |

Bajrang Baan | बजरंग बाण का पाठ किस दिन करना चाहिए?

सामान्यतः हमें बजरंग बाण का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए, परन्तु यदि आप प्रतिदिन पाठ काने में असमर्थ हैं तो कम से कम प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को अवश्य ही करें।

Bajrang Baan | बजरंग बाण पाठ करने की विधि

बजरंग बाण का पाठ करने से पूर्व जातक सर्वपर्थम नित्य क्रिया से निवृत्त हों लें तत्पश्चात स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद पाठ करने के लिए घर के मंदिर में आसन (ऊनी अथवा कुश के आसन) बिछाकर बैठ जाएं, मंदिर में श्रीराम दरबार का एक चित्र जिसमे हनुमान जी भी हों या हनुमान जी की मूर्ति, लाल वस्त्र पर स्थापित कर लें और  मन में हनुमान जी का ध्यान लगाएं। इसके बाद ध्यानपूर्वक बजरंग बाण का पाठ करें। साथ ही बजरंग बली की पूजा में नियम, संयम का पालन अवश्य करना चाहिए अन्यथा शीघ्र फल की प्राप्ति नहीं होती है ।

कब शुरू करें बजरंग बाण का पाठ

बजरंग बाण का पाठ जातक को हमेशा शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार ( Tuesday) से प्रारंभ करना चाहिए। यदि आप किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए यह पाठ कर रहें  हैं तो कम से कम 43 दिन तक प्रतिदिन नियमपूर्वक अवश्य करें। विशेष कार्यसिद्धि के लिए  साधना काल में कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करें और लाल वस्त्र का धारण अवश्य करें। पाठ के दौरान किसी प्रकार का दुर्व्यसन न करें।

Bajrang Baan | बजरंग बाण के जप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं

बजरंग बाण पाठ करने से लाभ

  1. यदि आप किसी गंभीर बिमारी से ग्रसित हैं तो और ऐसा लग रहा है अब ठीक नही होगा तो लगातार बजरंग बाण का पाठ करने से बिमारी से मुक्ति मिल जाती है।
  2. यदि आप केश-मुकदमा, शत्रुओं तथा विरोधियों से परेशान हैं तो प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को 11 बार बजरंग बाण का पाठ करने से शीघ्र ही लाभ मिलता है।
  3. नौकरी करते समय बाधाएं आ रही हो या नौकरी छूटने का भय सता रहा हो तो बजरंगबाण का पाठ करें।
  4. बजरंग बाण का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
  5. मंगलवार और शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे बजरंग बाण का पाठ करने से वैवाहिक समस्या दूर हो जाती है।
  6. अगर आप साक्षात्कार देने जा रहे है तो बजरंग बाण का पाठ करने से चयन होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  7. बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से आपके अंदर आत्म-विश्वास, साहस एवं सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

Bajrang Baan | बजरंग बाण

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥

जो भी भक्त निश्चयपूर्वक हनुमान जी के समक्ष पूर्ण श्रद्धा, प्रेम और विनय पूर्वक प्रार्थना करता है उनके सभी कार्यों को श्री हनुमान जी शीघ्र ही सिद्ध कर देतें हैं।

॥चौपाई॥

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥

जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥

हे श्री हनुमान जी आप संतों के हित करने वाले हैं आपकी जय हो, हे प्रभु हमारी प्रार्थना को सुन लीजिए और भक्तों के कार्यों को पूरा करने में तनिक भी विलम्ब न करें और शीघ्र ही आकर उन्हें सुख-शांति प्रदान करें। आप से प्रार्थना है की यह सब कार्य उसी तरह करें जैसे आपने अथाह समुद्र को पार कर लिया था।

सुरसा जैसी राक्षसी ने अपने विशालकाय शरीर से आपको लंका जाने से रोकना भी चाहा, परन्तु जिस तरह आपने उसे लात मार कर देवलोक पंहुचा दिया था।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा॥

बाग उजारि सिन्धु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥

आप लंका जाकर विभीषण को सुख दिया। सीता मैया को खोजकर परम् स्थान प्राप्त किया । आपने रावण की लंका के हरे-भरे बाग उजाड़े और रावण के भेजे हुए सैनिकों के लिए यम के दूत बने। जितनी शीघ्रता से आपने अक्षय कुमार को मारा, आपने अपनी पूंछ से सम्पूर्ण लंका को लाख के महल के समान जला दिया।  ऐसा करने से आपकी जय जयकार स्वर्ग नगरी में होने लगी।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दु:ख करहुं निपाता॥

जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥

इसके बाद भक्त कहते हैं कि हे! स्वामी अब आप देरी क्यों कर रहे हैं, हे! अंतर्यामी ( मन के भीतर उत्पन्न विचार को जानने वालें) कृपा करें। आप भगवान राम के भ्राता लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले हैं, हे  बजरंग बलि हनुमान आपकी जय हो। मैं बहुत आतुर हूं, आप हमारे  कष्टों का निवारण शीघ्र ही करेंगे।

हे गिरिधर (पर्वत को धारण करने वाले ) सुख के सागर आपकी जय जयकार हो। सभी देवताओं सहित स्वयं भगवान विष्णु के समान  सामर्थ्य रखने वाले हनुमान आपकी जय हो। हे परमेश्वर के समान हठीले हनुमान जी बज्र की कीलों से शत्रुओं को मारो। अपनी बज्र की गदा लेकर शत्रुओं वा विरोधियों का विनाश करो। हे बजरंग बलि आप अपने इस दास को कष्टों से मुक्ति प्रदान करो।

ओंकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥

सत्य होउ हरि शपथ पायके। रामदूत धरु मारु धाय के॥

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दु:ख पावत जन केहि अपराधा॥

हे वीर हनुमान ओंकार की हुंकार भरकर अब कष्टों पर धावा बोलो व अपनी गदा से प्रहार करने में विलंब न करें। हे कपीश्वर दुश्मनों के शीश धड़ से अलग कर दो। श्री हरि स्वयं  कहते हैं कि उनके शत्रुओं का विनाश रामदूत बजरंग बलि हनुमान शीघ्र ही आकर करते हैं। हे बजरंग बलि मैं आपकी जय जयकार ह्रदय से करता हूं परन्तु लोग किन अपराधों के कारण दुखी हो रहे हैं।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥

पाय परौं कर जोरि मनावों। यह अवसर अब केहि गोहरावों॥

जय अंजनि कुमार बलवन्ता। शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥

हे बजरंगबली  मैं आपका दास हूँ और में पूजा, जप, तप, नियम तथा आचार कुछ भी नहीं जानता, जंगलों में, उपवन में, रास्ते में, पहाड़ों में या फिर घर पर कहीं भी आपकी कृपा से ही  मैं भयमुक्त हूँ। हे प्रभु मैं आपके चरणों में पड़कर या फिर हाथ जोड़कर, कैसे आपको मनाऊं। इस समय मैं किस प्रकार से आपको पुकारू।  हे अंजनी पुत्र, शंकर के अंश बलशाली  हनुमान आपकी जय जयकार हो।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल काल मारीमर॥

इन्हें मारु तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥

जनकसुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा॥

हे  हनुमान जी आपका शरीर काल के समान विकराल है। आप सदा भगवान श्री राम के सहायक बनकर उनके वचन का पालन किया है। भूत, प्रेत, पिशाच तथा रात में घूमने वाली दुष्ट आत्माओं को आप अपनी अग्नि से नष्ट कर देते हैं।

आपको भगवान राम की शपथ है, इन्हें मारकर भगवान राम व अपने नाम की मर्यादा को बनाये रखें। आप सीता माता के भी दास कहलाते हैं माता सीता की कसम हैं आप इस कार्य में तनिक भी विलम्ब न करें। आकाश में भी आपकी जयकार की ध्वनी गुंजित हो रही है। आपके स्मरण मात्रा से ही गंभीर से गंभीर कष्ट दुःख शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।

चरण शरण करि जोरि मनावों। यहि अवसर अब केहि गोहरावों॥

उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई॥

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥

ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल॥

हे ! बजरंगबली आपके चरणों की शरण लेकर तथा हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना है की  आप मेरा पथ-प्रदर्शन करें, मुझे रास्ता दिखाए की मुझे क्या करना है। हे वीर हनुमान आपको भगवान श्री राम की दुहाई है उठकर चलो आपके पांव गिरते हैं आपके सामने हाथ जोड़ते हैं। हे हमेशा चलते रहने वाले हनुमान जी  ऊँ चं चं चं चं चले आओ। ऊँ हनु हनु हनु हनु श्री हनुमान चले आओ। ऊँ हं हं हे कपीश्वर आपकी हुंकार से राक्षसगण डर गए हैं।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥

यहि बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फिर कौन उबारो॥

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥

यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहे कलेसा ॥

हे बजरंग बलि आप अपने भक्तजनों को कष्टों से उबारो। आपके याद करने से ही हमें आनंद मिले। जिसको यह बजरंग बाण लगेगा फिर उसका उद्धार कौन कर सकता है। जो इस बजरंग बाण का पाठ करता है श्री हनुमान जी उसके प्राणों की रक्षा करते हैं। जो भी इस बजरंग बाण का जाप करता है, उससे भूत-प्रेत सब डरकर कांपने लगते हैं। जो भक्त बजरंग बलि को धूप से बजरंग बाण का जप करता है उसे कोई भी शारीरिक कष्ट नहीं होता है।

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