Effect of Fifth House Lord in First House in Hindi | जन्मकुंडली में पंचम भाव त्रिकोण स्थान के रूप में जाना जाता है। इस भाव का सम्बन्ध पूर्व जन्म से भी है । जन्मकुंडली में पंचम भाव से किसी भी जातक की बुद्धि, संतान, पढाई, लक्ष्मी इत्यादि को देखा जाता है । इस भाव का स्वामी आपके जन्मकुंडली में जहा भी स्थित होगा वह ग्रह अपने कारकत्व के अलावा इस भाव के लिए निर्धारित कार्यो का फल प्रदान करता है। जैसे यदि पंचम भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित है तो वैसा जातक बहुत ही बुद्धिमान होता है ऐसा व्यक्ति किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल अवश्य ही करेगा ।
जन्मकुंडली में प्रथम भाव सबसे महत्त्वपूर्ण भाव है कहा जाता है की यह भाव प्रत्येक भाव की चाभी है। यह भाव जातक के रंग रूप आकार, स्वभाव, मान-सम्मान, इज्जत इत्यादि को बताता है।
यदि पंचम भाव का स्वामी प्रथम भाव में जाता है तो वह जातक पंचम भाव से सम्बन्धित फल का सुख भोगेगा । जैसे धनु लग्न में पंचम भाव का स्वामी मंगल प्रथम भाव में स्थित है तो जातक का स्वभाव क्रोधी होगा तथा बच्चों को गिरने से अवश्य ही चोट लगती यह फल लग्न में क्रोध के कारक मंगल के बैठने से मिलेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी पहले स्थान में है तो एसा व्यक्ति अपने बुद्धि चातुर्य से अपना तथा अपने परिवार का नाम रोशन करता है । आप बहुत ही चालक और तेजतर्रार किस्म के इंसान है। यह स्थिति संतान पक्ष के लिए उतनी अच्छी नहीं मानी जाती है । ऐसा जातक अल्प संतान वाला होता है ऐसा कहा गया है ।
आपका संतान बहुत ही लायक होगा आपको अपने संतान पक्ष से ख़ुशी मिलेगी। हा यदि पंचमेश अशुभ ग्रह के प्रभाव में होगा तो संतान के कारण दुखी रह सकते है ।
पंचम भाव प्रेम का भाव होने प्रेम सुख का आनन्द लेने का अवसर मिलेगा यदि सप्तमेश के साथ सम्बन्ध बनता है तो प्रेम विवाह का भी सुख मिलेगा ।आप साहित्य संगीत और कला के प्रेमी होंगे।
ऐसा जातक शेयर में अपना धन लगाता है तथा शेयर के खरीद बिक्री से खूब धन कमाता है खास कर यदि सिंह लग्न हो सिंह लग्न में पंचम भाव का स्वामी गुरु लग्न में बैठकर पंचम भाव को देखेगा इस कारण व्यक्ति शेयर का काम करेगा तथा उसे शेयर के कार्य से लाभ भी होगा हां यदि अशुभ ग्रह की दृष्टि या युति हो रही है तो फल में कमी आयेगी।
यदि लग्न में पंचमेश के साथ धनेश भाग्येश तथा कर्मेश का सम्बन्ध बन रहा हो तो जातक खूब धन कमाता है ।