Effect of Fourth House Lord in Second House in Hindi | जैसा की आपको पूर्व में भी बताया गया है की जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा इत्यादि का कारक भाव है अर्थात जब भी चतुर्थ भाव का स्वामी किसी भाव में जायेगा तब अपने कारक के अनुसार फल प्रदान करेगा । प्रस्तुत लेख में चतुर्थ भाव का स्वामी दुसरे घर में जाकर बैठा है और यह स्थान धन, वाणी, परिवार, नेत्र, मुख, प्राथमिक शिक्षा इत्यादि का है अतः जब चतुर्थ भाव का स्वामी दुसरे भाव में होगा तो उस जातक की प्राथमिक शिक्षा अच्छी होती है उसे माता पिता के द्वारा अच्छी तालीम दी जाती है । ऐसा जातक कभी कभी पढाई के दौरान ही धन कमाने की कोशिश करने लगता है। वह येन केन प्रकारेण पैसा कमाना चाहता है।
दूसरा भाव धन भाव है अतः चतुर्थ का स्वामी जब धन भाव में स्थित है तो अपने दशा अन्तर्दशा में जातक प्रोपर्टी की खरीद बिक्री में पैसा का इन्वेस्टमेंट करता है तथा प्रॉपर्टी से धन अर्जन करता है ।इनके पास पैसे की कमी नही होती। ऐसा व्यक्ति ठीकेदारी का काम करता है यही नहीं ऐसा जातक बड़े- बड़े बिल्डिंग बनाता है और खूब धन कमाता है । इनके घर में नौकर काम करता है ये पूर्णतः विलासी जीवन व्यतीत करता है ।अपने धन का अधिकांश हिस्सा अपनी सुख सुविधा के उपभोग करने के लिए खर्च करता है ।
आप जैसे लोग शिक्षा को अपना व्यवसाय अपना कर धनार्जन करते है । इनके पिताजी किसी न कसी रोग से ग्रस्त रहते है । इनके मामा के पास बहुत सम्पत्ति होती है । ऐसे जातक की माता सुखी सम्पन्न परिवार से होती है ।
दूसरा घर वाणी का भी है अतः ऐसा जातक अपनी वाणी से दुसरो को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है । इनकी वाणी ओज से भरा होता है ।यदि शुभ ग्रह है तो वाणी मे मधुरता होती है ।
यदि अशुभ ग्रह शनि, मंगल इत्यादि दुसरे घर में बैठा है ऐसा जातक बात बात में गाली का प्रयोग करता है हालांकि यह आपके सामजिक परिवेश पर भी निर्भर करेगा। इन्हें निश्चित ही नेत्र दोष होता है । इन्हें दांत में भी परेशानी होती है । दूसरा भाव मारक भाव भी होता है ग्रहों के कारकत्व के अनुसार ग्रहों से सम्बन्धित जीव की हानि होती है ।