Jupiter Transit in Libra and Effects on Leo Sign in Hindi

Jupiter Transit in Libra and Effects on Leo Sign in HindiJupiter Transit in Libra and Effects on Leo Sign in Hindi | गुरु का तुला में गोचर का सिंह राशि पर प्रभाव .  गुरु / बृहस्पति का गोचर तुला राशि में, 12 सितंबर 2017 को होगा तथा इसी राशि में वे 12 अक्टूबर 2018 तक भ्रमण करते रहेंगे। इस गोचर ( Transit ) का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग अलग रूप में पड़ेगा। गुरु का कन्या से तुला राशि में जाने से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा – शिक्षा, भाई-बंधू,पधन, माता-पिता, व्यवसाय, परिवार, वैवाहिक जीवन,( मैरिज- life) संतान इत्यादि पर प्रभाव पड़ेगा। गुरु इस राशि में सर्वप्रथम मंगल( Mars ) के चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे उसके बाद राहु तथा गुरु के नक्षत्र में परिभ्रमण करेंगे। नवांश में तुला ( Libra ) राशि से लेकर मिथुन राशि ( Mithun Rashi) तक क्रमशः भ्रमण करेंगे।

गुरु ज्ञान, धन तथा शुभ फल देने वाला ग्रह है। गुरु के लिए तुला राशि शत्रु स्थान है। अतः पूर्णतः शुभत्व प्रदान करने में असमर्थ होगा फिर भी शुभत्व की आशा प्रार्थनीय है।

यहां लग्न तथा चंद्र राशि को आधार मानकर, गुरु का सिंह राशि पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है इसका विस्तृत विवेचन करने का प्रयास किया जा रहा है। किसी भी कुंडली में चन्द्रमा ( Moon ) जिस राशि में होता है उसे ही राशि या चन्द्र राशि कहते है। जैसे यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा सिंह राशि में है तो वह जातक सिंह राशि का होगा। आइये जानते है ! गुरु का गोचर में तुला राशि में आने से सिंह राशि ( जाने ! सिंह राशिफल 2017 ) पर क्या असर पड़ेगा है।

इस समय बृहस्पति / गुरु गोचर में आपके तृतीय भाव में रहेंगे फलस्वरूप आप बुद्धि चातुर्य से अपने भाग्य का निर्माण करने में सफल होंगे। पैतृक सम्पति को लेकर अथवा अन्य कारण से भी भाइयो में विवाद हो सकता है। इस स्थिति में आपको अपने धैर्य तथा विवेक का परिचय देने से समस्या का समाधान अपने आप हो जाएगा।

गुरु पंचमेश तथा अष्टमेश होकर इस स्थान में भ्रमण करेंगे पंचम स्थान से गुरु 11 वे अथवा लाभ स्थान में बैठे है अतः गुरु गोचर से संतान लाभ की प्रबल सम्भावना है। यदि संतान के लिए परेशान है तो आपकी इच्छा की पूर्ति होगी परन्तु इच्छापूर्ति हेतु आपको स्वप्रयत्न आवश्यक है इस बात को न भूले। वही गुरु अष्टमेश होकर अष्टम स्थान में है अष्टम से दूसरे व धन स्थान पर दृष्टि है अतः इस अवधि में आप को पैतृक सम्पती का भी लाभ मिल सकता है।

गुरु का यहाँ होने से आपके अंदर नए कार्यो के प्रति रूचि बढ़ेगी। प्रचुर मात्रा में मान सम्मान में वृद्धि होगी। छोटी यात्रा (short Journey) का बार-बार योग बनेगा। यात्राओं के माध्यम से आपके कार्यो में वृद्धि होगी। यात्रा के समय वाद-विवाद से बचें। यात्रा के दौरान में चोट भी लग सकता है अतः गाडी संभलकर चलाने में ही बुद्धिमानी होगी।

यदि आपकी शादी नहीं हुई है तो तृतीये भाव से वृहस्पति अपने पंचम दृस्टि से सप्तम भाव को देख रहा है तथा शनि भी तृतीय दृष्टि से सप्तम भाव को देख रहा है अतः विवाह का उत्तम योग ( Marriage yoga and time) बन रहा है अतः इस कार्य के लिए किया गया प्रयत्न निश्चित ही मनोनुकूल परिणाम प्रदान करने वाला होगा। अर्थात आपकी इच्छा पूरी होगी। आप अपना सेहरा तैयार रखे शुभ समाचार मिलने वाला है। यदि आप शादी शुदा है तो आपके दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी।

आप अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान रखे। अष्टमेश होकर तृतीय स्थान से सप्तम भाव पर दृष्टि है अतः पत्नी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। मामा के यहाँ कोई शुभ कार्य होगा और आपको जाने का मौका मिलेगा।पार्टनरशिप में कोई कार्य होने की सम्भावना बनेगी तथा उससे लाभ भी मिलेगा। परन्तु सावधानी बरतने की जरुरत है।

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