बृहस्पतिवार व्रत कथा विधि और लाभ

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यह व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से प्रारम्भ करना श्रेष्ठकर होता है। सामान्यतः यह व्रत सात गुरुवार तक रखा जाता है परन्तु कोई भी व्रत किसी न किसी उद्देश्य को लेकर किया जाता है अतः यह व्रत तब तक करे जबतक आपका संकल्प पूरा न हो जाए। यह व्रत आप आजीवन भी कर सकते है।

बृहस्पतिवार व्रत से लाभ | Benefit from Thursday Fasting 

बृहस्पतिवार का व्रत अपने आप में ही अनेक समस्याओ का समाधान है। व्रत करने से घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती है परिवार के सभी सदस्य आपस में मिलजुलकर काम करते हुए आनंदपूर्वक जीवनयापन करते हैं। बृहस्पति देव धन, ज्ञान तथा पुत्र के कारक ग्रह हैं अतः इस व्रत को करने से धन संपत्ति की प्राप्ति होती है। जो जातक निःसंतान हैं उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। छात्रों को विद्या की प्राप्ति होती है। नौकरी की तलाश में है तो नौकरी मिलती है। विदेश जाने की इच्छा रखते है तो उस निमित व्रत करे अवश्य ही इच्छा पूर्ति होगी। व्रत पूर्व आप मन में जो भी संकल्प लेते हैं वह शीघ्र ही पूरा होता है।

ज्योतिष के दृष्टि से बृहस्पतिवार का व्रत |  Thursday Fasting According to Astrology

ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में जब में बृहस्पति ग्रह ( Jupiter Planet) अशुभ अवस्था में होता है तो जातक के ऊपर अशुभ प्रभाव देता है उस अशुभ की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए। जैसे यदि आप वृष लग्न के जातक है तो आपकी कुंडली में गुरु ग्रह अष्टम ( Eight House ) तथा एकादश भाव ( Eleventh House ) का स्वामी होता है।

बृहस्पतिवार व्रत कथा विधि और लाभ

संयोग से यदि गुरु ग्रह षष्ठ या बारहवे भाव में बैठा है और उसकी दशा अंतर्दशा चल रही है तो निश्चित ही जातक के ऊपर अशुभ प्रभाव डालेगा। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए बृहस्पतिवार का व्रत करने से बृहस्पतिदेव के अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

बृहस्पतिवार व्रत विधि | Method of Vrat

गुरूवार के दिन अपने नित्य क्रिया से निवृत्त होने के बाद प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा बृहस्पति देव के रूप में करनी चाहिए। पूजन में पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी चढ़ाना चाहिए। कथा पढ़ते और पूजन के समय सच्चे मन से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
बृहस्पतिवार के व्रत में केले के पेड़ की पूजा करना जरूरी होता है। जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए और केले की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाएं। इसके पास ही दीपक जलाकर पेड़ की आरती करें। गुरूवार के व्रत में दिन में एक समय ही भोजन करना चाहिए। पूजा करने के बाद भगवान बृहस्पति की कथा पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

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बृहस्पतिवार व्रत में क्या नहीं करना चाहिए

  1. भगवान को केले चढ़ाएं लेकिन खाएं नहीं।
  2. गुरूवार के दिन धोबी के यहाँ कपडा नहीं देना चाहिए।
  3. घर के कोई भी सदस्य को इस दिन केश तथा दाढ़ी नहीं बनाना चाहिए।
  4. स्नान करते समय केश नहीं धोना चाहिए। 
  5. स्नान करते समय साबुन का प्रयोग न करे।
  6. इस दिन शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए।
  7. इस दिन खाने में मांस तथा मदिरा नहीं खाना चाहिए।

वृहस्पतिवार के दिन क्या क्या करना चाहिए

  1. वृहस्पतिवार के व्रत में पूजा सूर्योदय के प्रथम दो घंटे में कर लेना चाहिए परन्तु यदि किसी कारण ऐसा नहीं कर पाते है तो 12 बजे से पहले जरूर कर ले नहीं तो इस व्रत का कोई लाभ नही मिलेगा।
  2. इस दिन पीला वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए तथा पीला वस्त्र ही पहनना चाहिए।
  3. इस दिन केले के वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  4. भगवान् विष्णु वा बृहस्पति प्रतिमा को पीले फूल, पीला चंदन, चने की दाल, गुड़, मुनक्का इत्यादि से पूजा करनी चाहिए।
  5. इस दिन सामर्थ्यानुसार ब्राह्मणों अथवा अशक्त लोगो दान देना चाहिए।
  6. इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए।

वृहस्पति व्रत कथा | Story of  Jupiter Fasting

प्राचीन काल में एक राजा राज्य करता था वह बहुत ही दानी था। वह रोज मंदिर में भगवद दर्शन करने के लिए जाता था। राजा नियमपूर्वक प्रत्येक गुरुवार को व्रत एवं पूजा भी करता था। वह ब्राह्मण और गुरु की सेवा निःस्वार्थ भाव करता था। राजा के पास से कोई भी निराश होकर नहीं लौटता था। वह जितना धन कमाता था उतना दान भी करता था उसके दरवाजे से निराश होकर कोई भी नहीं लौटता था परन्तु इसके ठीक विपरीत राजा की पत्नी अत्यंत कंजूस थी। वह किसी को एक पैसा भी न देती थी और न ही चाहती थी की राजा दान दे। .. आगे पढ़े

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