पंचक 2020 : तिथि काल और शुभाशुभ फल विचार

पंचक 2020 : तिथि काल और शुभाशुभ फल विचार

पंचक 2020 : तिथि काल और शुभाशुभ फल विचार. ज्योतिष शास्त्र काल विशेष तथा ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ मुहूर्त का निर्धारण करता है। इसलिए ज्योतिष में मुहूर्त का विशेष महत्व दिया गया है। हम सभी लोग यह चाहते है की जब कोई शुभ कार्य किया जाय वह शुभ घड़ी में प्रारम्भ हो इसलिए मुहूर्त निकालने का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। शास्त्रानुसार जितने भी ग्रह या नक्षत्रों है उनमे कुछ शुभ और कुछ अशुभ होते है अतः शुभ ग्रह नक्षत्रो के संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं अशुभ नक्षत्रों में कोई शुभ कार्य करने के लिए मना किया जाता है।

किस नक्षत्र के संयोग से बनता है पंचक

धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती  ऐसे पांच नक्षत्रों का एक समूह है जिसे पंचक नक्षत्र से जाना जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र से शुरू होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम पाद  तक के समय को पंचक कहा जाता है। पंचक नक्ष्त्र की स्‍वामी राशि कुंभ और मीन है जब गोचर में चंद्रमा इन राशियों से या नक्षत्रो से गुजरता है तो उस काल विशेष को पंचक का समय कहा जाता है।

कितने प्रकार के होते है पंचक

5 प्रकार के होते है पंचक।  यथा ——-

  1. राज पंचक
  2. अग्नि पंचक
  3. मृत्यु पंचक
  4. चोर पंचक
  5. रोग पंचक

राज पंचक 

जो पंचक सोमवार के दिन शुरू होता है वह राज पंचक कहलाता है। यह पंचक शुभ फल देने वाला होता है। यदि किसी व्यक्ति का कोई सरकारी काम नही हो रहा है तो इस पंचक में काम शुरू करने पर इन पांच दिनों में सफलता मिलती है। इस पंचक में यदि आप प्रॉपर्टी से जुड़े हुए कोई काम करते है तो शुभ फल मिलता है। राज पंचक में नौकरी वर्जित है।

अग्नि पंचक 

जो पंचक मंगलवार के दिन से शुरू होता है अग्नि पंचक कहा जाता है। अग्नि तत्व से संबंधित कार्य यथा –कोर्ट-कचहरी, वाद-विवाद के फैसले, अपने अधिकार हेतु किये जाने वाले कार्य, शत्रुओं पर विजय के लिए तैयारी इत्यादि कार्य इन पांच दिनों में करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस पंचक में अग्नि से संबंधित कार्य  यथा — निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। अग्नि पंचक में गृह निर्माण या गृह प्रवेश नहीं किया जाता है।

चोर पंचक 

जो पंचक शुक्रवार के दिन से शुरू होता है वह चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में यात्रा नही करनी चाहिए। इस पंचक में व्यापार, लेन-देन तथा किसी भी तरह के व्यापारिक समझौता नहीं करना चाहिए।

मृत्यु पंचक 

जो पंचक शनिवार के दिन से शुरू होता है वह मृत्यु पंचक कहलाता है। कहा जाता है की मृत्यु पंचक में यदि कोई काम किया जाता है तो मृत्युतुल्य कष्ट देने वाला होता है। इन 5 दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरा काम बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इस पंचक के प्रभाव से चोट, दुर्घटना, विवाद, लड़ाई-झगड़ा आदि होने का खतरा रहता है। मृत्यु पंचक में शादी करना निषेध माना गया है।

रोग पंचक

जो पंचक रविवार के दिन शुरू होता है वह रोग पंचक कहलाता है। जो इस पंचक के प्रभाव प्रभाव में आता है वह 5 दिन शारीरिक और मानसिक व्याधियों से ग्रस्त होता है। इस पंचक के दौरान कोई भी मांगलिक अथवा शुभ कार्य बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए। रोग पंचक में यज्ञोपवीत नही होता है।

 पंचक में ध्यान रखने वाली बातें ……

  1. पंचक के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है और पंचक में ही शव का अंतिम संस्कार करने से जातक के घर-परिवार, गाँव में या बंधू-बांधवों के मध्य पांच मृत्यु और हो जाती है इस बात का ध्यान रखना चाहिए । इससे बचने के लिए शव के अंतिम संस्कार के समय 5 कुशा के पुतले बनाकर संस्कार कर देना चाहिए। ऐसा करने से परिवार के किसी भी सदस्‍य पर संकट नही आती है।
  2. पंचक के समय यदि रेवती नक्षत्र चल रहा हो तो उस समय नव निर्मित घर की छत की ढलाई नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से धन हानि और घर में क्लेश होते रहता है।
  3. पंचक के समय यदि घनिष्ठा नक्षत्र चल रहा हो तो उस समय लकड़ी, घास, रसोई गैस, डीजल, पेट्रोल किरोसिन तेल इत्यादि नहीं लेना चाहिए। इससे अग्नि का भय या इससे हानि होने की संभावना बनी रहती है।
  4. पंचक के समय दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि यात्रा करते है तो हानि हो सकती है।
  5. पंचक में यदि कोई कार्य शुरू किया गया है तो वह कार्य पांच बार करना पड़ता है।
  6. हर महीने आने वाली पंचक तिथियों में कोई भी महत्‍वपूर्ण कार्य करना फलदायी नहीं होता।
  7. पंचक काल में गृह प्रवेश, बच्‍चों का मुंडन, भूमि का क्रय-विक्रय, फर्नीचर खरीदना, गाड़ी खरीदना-बेचना इत्यादि शुभ नही मानी जाती है।
  8. ऐसी परम्परागत मान्‍यता है कि पंचक काल में किया गया कोई भी शुभ या अशुभ कार्य पांच बार किया जाता है।
  9. पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं।

क्या ? पंचक में शुभ कार्य भी कर सकते हैं। 

प्रायः पंचक शब्द से ही लोगो में ऐसी दहसत फ़ैल जाती है की इस नक्षत्र में कुछ भी नहीं कर सकते परन्तु ऐसा नहीं है। पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य भी हो सकते हैं। जैसे पंचक में आने वाला नक्षत्र उत्तराभाद्रपद अन्य वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं। अब यह कहा जा सकता है की इन नक्षत्रो में जो कार्य करने के लिए निर्धारित किया गया है उसे करते समय पंचक के सम्बन्ध में सोचना ही नही

प्राचीन ग्रंथ मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार पंचक के नक्षत्रों का शुभ फल

चूकिं घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चर संज्ञक माने जाते हैं इसलिए जब चन्द्रमा इस नक्षत्र में हो तो चलित काम करना यथा —वाहन खरीदना, यात्रा करना, मशीनरी संबंधित काम शुरू करनाशुभ माना गया है।

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक नक्षत्र माना गया है अतः जब चन्द्रमा इस नक्शत्र में हो तो स्थायी कार्य यथा — गृह प्रवेश, शांति हेतु पूजा, भूमि से जुड़े कार्य, बीज बोना इत्यादि करने चाहिए।

रेवती नक्षत्र मैत्री संज्ञक होने से इस नक्षत्र मेंव्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना, कपड़े का व्यापार करना या खरीदना, आपसी समझौता करना इत्यादि शुभ काम कर सकते हैं।

पंचक 2020 : तिथि  और काल

पंचक प्रारंभ समय पंचक समाप्ति समय
दिनाँकसमय (घ.मि.)दिनाँकसमय (घ.मि.)
30 दिसंबर 201909:35से4 जनवरी 202010:05 तक
26 जनवरी 202017:39 से31 जनवरी 2020 18:10 तक
22 फरवरी 2020 24:29 से27 फरवरी 2020 25:08 तक
21 मार्च 2020 06:20 से26 मार्च 2020 07:16 तक
17 अप्रैल 2020 12:18 से22 अप्रैल 2020 13:18 तक
14 मई 2020 19:2219 मई 2020 19:53 तक
11 जून 2020 03:42 से 16 जून 2020 03:17 तक
8 जुलाई 2020 12:31 से13 जुलाई 2020 11:14 तक
4 अगस्त 2020 20:47 से9 अगस्त 2020 19:06 तक
1 सितंबर 2020 03:48 से6 सितंबर 2020 02:21 तक
28 सितंबर 2020 09:413 अक्टूबर 2020 08:51 तक
25 अक्टूबर 2020 15:26 से30 अक्तूबर 2020 14:57 तक
21 नवंबर 2020 22:26 से26 नवंबर 2020 21:20 तक
19 दिसंबर 2020 07:16 से24 दिसंबर 2020 04:33 तक

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