Budhaditya Yog | बुधादित्य योग का फल

Budhaditya Yog | बुधादित्य योग का फलBudhaditya Yog | बुधादित्य योग का फल . सौरमंडल सूर्य ग्रह के सबसे नजदीकी ग्रह बुध है। इसी कारण ये दोनों अक्सर साथ होते हैं। यह जान लें की आदित्य” शब्द सूर्य का पर्याय है इसी कारण ज्योतिषशास्त्र में जब किसी जातक की जन्म कुंडली में बुध और सूर्य ग्रह की युति एक ही भाव राशि में होता है तो वह बुधादित्य योग कहलाता है।

Budhaditya Yog | बुधादित्य योग का फल

इस योग वाले जातक भाग्यशाली होते है। यदि व्यक्ति जन्म के समय निर्धन भी है तो धीरे धीरे वह धनी हो जाता है। सूर्य पिता का कारक है और बुध व्यापार का अतः जातक के जन्म के बाद पिता का भी भाग्योदय शुरू हो जाता है अर्थात पिता के व्यापार या नौकरी में आर्थिक वृद्धि होने लगती है और एक दिन वही निर्धन परिवार अपने बालक की कुण्डली में विद्यमान बुध-आादित्य योग के प्रभाव से धनवानों में शुमार होने लग जाता है।

बुधादित्य योग के शुभ प्रभाव से जातक में वाक्पटुता, बुद्धि कौशल, विशलेषणात्मक क्षमता, संचार कुशलता, नेतृत्व करने की क्षमता, मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा इत्यादि अन्य कई विशेषताएं प्रतिष्ठित होती है। इस योग वाला जातक अतिबुद्धिमान एवं चतुर होता हैं। वह हर समस्या का निदान बुद्धि से करता हैं। वह बोलने में भी वाचाल एवं निपूण होता हैं।

ऐसा जातक माता-पिता, भाई-बहनो तथा अपने का संतान का भाग्य निर्माता के रूप में होता है। बुधादित्य योग में उत्पन्न जातक अपनी जीवन यात्रा में मान-सम्मान, यश, उच्च पद, व्यापार में लाभ, आयु, विद्या, बुद्धि इत्यादि के लाभ से युक्त होता है।

Budhaditya Yog | बुधादित्य योग और कार्यक्षेत्र

शुभ बुध आदित्य योग के जातक लेखक, गणित , ज्ञान विज्ञानं , चिकित्सा, बैंक कर्मचारी और ज्योतिषी ज्यादा देखे जाते है। यदि यह योग जन्म कुंडली में शुभ भाव या राज योग ( Raj Yog ) या उच्च राशि में बुध ग्रह स्थित होकर बन रहा है तो वैसा जाता लेखक के रूप में अपना नाम कमाता है उसका लेखन कार्य युगों-युगों तक सूर्य की तरह देदीप्यमान होता है। ऐसा जातक पुस्तक पढ़ने मे बहुत रूचि लेता है वह अपने घर में पुस्तको का संग्रहालय बनाने के लिए सोचता है परन्तु ऐसा कम ही होता है।Budhaditya Yog | बुधादित्य योग का फल

Budhaditya Yog | भावानुसार बुधादित्य योग का फल

First House | प्रथम भाव

जन्म कुंडली के प्रथम भाव अर्थात लग्न में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) बन रहा है तो जातक को मान-सम्मान, यश, प्रसिद्धि, कार्यक्षेत्र में सफलता, नौकरी में प्रमोशन इत्यादि शुभ फल प्रदान कर सकता है। व्यक्ति चतुर, बुद्धिमान के साथ-साथ अहंकारी भी होता है।

Second Bhav | दूसरा भाव

जन्म कुंडली में यदि दूसरे भाव में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) हो तो जातक को धन-धान्य से युक्त, सरकारी नौकरी वाला, ऐश्वर्य युक्त जीवन के साथ साथ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने में समर्थ होता है। जातक तार्किक अभिव्यक्ति वाला, व्यवहार कुशल, घूस लेने वाला, दूसरों के धन से व्यवसाय करने की इच्छा रखने वाला, दूसरों की पुस्तकें लेकर अध्ययन करने वाला हो सकता है।

Third Bhav | तृतीय भाव

यदि आपकी कुंडली के तीसरे भाव में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) बन रहा है तो वैसा जातक रचनात्मक कार्य में दक्ष होता है और इस कार्य में सफलता भी प्राप्त करता हैं आप राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कुंडली में यह योग देख सकते है। ऐसा व्यक्ति मंत्री पद भी प्राप्त कर सकता है अर्थात राजनीति से भी सम्बन्ध रखता है। ऐसा जातक स्वयं परिश्रमी, भाई-बहनों में स्नेह का अभाव, भाग्योदय का अवसर खो देने वाला होता है। जातक को सेना अथवा पुलिस में नौकरी कर सकता है।

Fourth Bhav | चतुर्थ भाव

कुंडली के चौथे भाव में स्थित बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) व्यक्ति को वाहन सुख, विदेश भ्रमण, घर से दूर रहना, अपना घर, सरकारी नौकरी सुखी दाम्पत्य जीवन इत्यादि प्रदान करता है। यह योग इस स्थान पर प्रायः शुभ फल प्रदान करता है। यह योग व्यक्ति को संस्था का प्रधान, प्रोफेसर, इंजीनियर, सफल राजनेता, कुलपति, न्यायाधीश या उच्च कोटि का अपराधी भी बना देता है। मित्रों का सहयोग एवं प्रेम करने वाला होता है।

कन्या या तुला लग्न की कुंडली में यदि यह योग बन रहा है तो जातक को एक न एक दिन अपना घर छोड़ना पड़ता है वह अपना निवास विदेश में भी बना सकता है।

Fifth House | पंचम भाव

कुंडली के पांचवे भाव में यह योग जातक को बहुत नित्य नए कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करता है, आध्यातमिक शक्ति, नृत्य में अभिरुचि, कलात्मक क्षमता, नेतृत्व क्षमता, धार्मिक यात्रा देने में सक्षम होता है। ऐसा जातक अपने जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है बशर्ते की अहंकारी और अभिमानी न हो। पंचम भाव में यह योग अल्प संतान परन्तु प्रतिभावान संतान देता है। पेट तथा लिवर से सम्बन्धित रोग देता है।

Sixth House | षष्ठ भाव 

जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में स्थित बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को निर्भय बनाता है। ऐसे जातक को घर से ज्यादा बाहर में मान-सम्मान मिलता है। जातक का शत्रु तो होता है परन्तु अंततः जीत आपकी ही होती है। पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियाँ आ सकती है। मामा पक्ष से बचपन में लाभ मिलता है, परन्तु उचित समय पर पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता है।ऐसा व्यक्ति इन्वेस्टमेंट अवश्य करता है। इनके पिता उच्च पद पर या समाज में सम्माननीय हो सकते हैं।

7th House | सप्तम  भाव

कुंडली के सातवें घर का बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक के दाम्पत्य जीवन में परेशानी उत्पन्न करता है। वैवाहिक जीवन को नीरस बना देता है। जीवन साथी को नुकसान पहुंचाता है कई बार तलाक तक की नौबत आ जाती है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत कामी जीवनसाथी की उपेक्षा कर दूसरों की ओर विशेष आकृष्ट होने वाले होते हैं। ऐसा जातक समाजसेवा एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध, चिकित्सक, अभिनेता, निजी सहायक इत्यादि होते हैं। साझेदारी में व्यवसाय के लिए अच्छा होता है।

Eight House | अष्टम भाव

कुंडली के आठवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को किसी वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त करवा सकता है तथा यह योग जातक को आध्यात्म तथा परा विज्ञान के क्षेत्रों में भी सफलता प्रदान कर सकता है। जातक को दुर्घटना का भय बना रहता है ख़ास कर हाथ, गाल, नाखून एवं दांत, पैर में। ऐसा व्यक्ति विदेशी मुद्रा से व्यापार, आमाशय में जलन,किडनी में स्टोन तथा आंतों में विकार भी इस योग वाले जातक में देखने में मिलता है। यदि बुध बली हो तो ऐसा जातक व्यापार में सफलता प्राप्त करता है।

Ninth House | नवम भाव

यदि जन्म कुंडली के नवम भाव में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को शुभ फल प्रदान करता है परन्तु एक बात का अवश्य ध्यान रखना होगा यदि आप अपने पिता के ऊपर निर्भर हो गए तो समझ ले की आप अपने भाग्य का निर्माण पूरी तरह से करने में सक्षम नही होंगे। जातक अपने बल पर जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्रदान करेगा। जातक को भाग्य का पूर्ण साथ मिलता है, थोड़ी मेहनत से ही कार्य बन जाते है तथा इस योग के शुभ प्रभाव में होने से धर्म कर्म मे हिस्सा लेता है । ऐसा व्यक्ति आलसीपन के कारण अपना अवसर खो देता है।

10th House | दशम भाव 

कुंडली के दसवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त करवाता है। जातक सरकारी पद पर आसीन कराता है। जातक मंत्री पद भी प्राप्त करता है। व्यापर या नौकरी दोनों की स्थिति में यह योग सामाजिक सम्मान दिलाता है।जातक बुद्धिमान, धन कमाने में चतुर, साहसी एवं संगीत प्रेमी होते हैं। जातक धीरे धीरे आसमान छू लेता है।

11th House | एकादश भाव 

कुंडली के ग्यारहवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को बहुत लाभ प्रदान करता है। ऐसा जातक राजनीति में भी अपना भाग्य आजमाइस करता है। जातक विद्वान, ज्ञानवान, संगीत का प्रेमी, रूपवान एवं धनधान्य से संपन्न होता है। इस स्थान का बुधादित्य योग भी सरकार से लाभ या सरकारी नोकरी दिलाता है।  जातक के आय के कई स्रोत्र होते हैं।

12th House | द्वादश भाव 

यदि आपकी जन्म कुंडली के बारहवें भाव में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) बन रहा है तो जातक को भोगविलास मे रूचि कम होती है। जातक घर से बाहर इन्वेस्टमेंट भी करता है। पिता के सुख मे कमी होती है। समाज में मान-सम्मान मिलता है। जातक खर्चीला भी होता है। जातक इन्वेस्टमेंट करने में घबराता नहीं है।

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