कोरोना वायरस का ज्योतिषीय विश्लेषण : भारत से कब समाप्त होगा ?

कोरोना वायरस का ज्योतिषीय विश्लेषण : भारत से कब समाप्त होगा ?
कोरोना वायरस का ज्योतिषीय विश्लेषण : भारत से कब समाप्त होगा ? विगत चार महीने से सम्पूर्ण विश्व को कोरोना वायरस अपने विषाक्त संक्रमण स्वभाव से अपने शिकंजे में ले रखा है और आज यह वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लिया है। कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में शुरू हुआ उसके बाद चीन  के  अनेक शहर को अपने प्रभाव में लिया परिणामस्वरूप हजारों लोग काल के गाल में समाहित हो गए इसके बाद इटली, स्पेन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, जर्मनी इत्यादि से होते हुए भारत में प्रवेश किया और आज भारत में भी अनेक लोग इस महामारी के चपेट में आ चुके हैं।  भारत में प्रतिदिन कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। उपर्युक्त बातें आज प्रायः व्यक्ति जानते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और कोरोना वायरस

वर्तमान समय  में कोरोना नामक वायरस सम्पूर्ण विश्व को अपने शिकंजे में ले लिया है। नॉवल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) इसे 11/3 / 2020 को वैश्विक महामारी (Pandemic) घोषित कर दिया है। इसी प्रकार अन्य प्रभावित देश चीन, इटली, अमेरिका, दक्षिण कोरिया  इत्यादि ने राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है। भारत में भी यह वायरस तेजी से फैल रहा है। भारत में यह संक्रमण सर्वप्रथम केरल राज्य में सामने आया था। भारत में इस संक्रमण  से 19  मौत हो चुकी है और अब तक 964  मामले सामने आ चुका है। हजारों व्यक्ति सरकार की निगरानी में कोरोंटाइन है। भारत के प्रायः सभी राज्यों में कोरोना वायरस से पीड़ित कोई न कोई केस सामने आया है और धीरे धीरे इसकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।  भारत सरकार ने भी इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर चुकी है साथ ही 14 अप्रैल 2020 तक लॉक डाउन भी कर दिया है। 

आज मैं अपने इस लेख में  ज्योतिष के दृष्टि से इस महामारी के कारण परिणाम और कालखंड  के संबंध में विश्लेषण करने का प्रयास करने जा रहा हूँ।

शास्त्रानुसार नव सम्वतसर का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अर्थात 25 मार्च 2020 से प्रारम्भ हो गया है।  इस सम्वतसर के राजा बुध तथा मंत्री चंद्र होगा।  इस वर्ष “प्रमादी” नामक नया विक्रमी संवत 2077 चल रहा है। नारद-संहिता में ” प्रमादी” नामक सम्वतसर के सम्बन्ध में कहा गया है-

नृपसंक्षोभमत्युग्रं प्रजापीडा त्वनर्घता।  तथापि दुखमाप्नोति प्रमादीवत्सरे जनः। ।

अर्थात  संवत्सर में राजा वा सरकार की ओर से कठोर एवं अप्रिय निर्णय ( Lock down) लिए जाएंगे। प्रजा पीड़ा से त्रस्त रहेगी ।  देशहित हेतु लिए गए कठोर एवं क्लिष्ट सरकारी नियम एवं कानून से सामान्य प्रजा में दुविधा, भय, विक्षोभ एवं आक्रोश की भावनाये रहेंगी। इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होने से भी प्रजा आक्रांत रहेगी।

कोरोना वायरस के कारक ग्रह

वैदिक ज्योतिष में किसी भी वायरस का मुख्य कारक ग्रह राहु, केतु और शनि को माना गया है। इन्हीं के प्रकोप के कारण देश के लोग किसी वायरस से संक्रमित होते हैं। वर्तमान समय  में कोरोना नामक वायरस सम्पूर्ण  विश्व को अपने शिकंजे में ले लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन  इसे वैश्विक  महामारी घोषित कर चूका है। जब भी केतु और गुरु की युति एक साथ होती है उसके प्रभाव से वातावरण में जीवाणु, कीटाणु, विषाणु ज्यादा सशक्त हो जाते हैं। केतु और गुरु के प्रबल होने के कारण ही विश्वभर में जीवाणु, कीटाणुओं का प्रकोप बढ़ता है।

किसी भी घटना का कोई न कोई कारण अवश्य ही विद्यमान होता है ज्योतिष के दृष्टिकोण से यदि देखें तो 26 दिसंबर, 2019 के दिन सूर्यग्रहण लगा था और उस दिन धनु राशि में 6 ग्रह एक साथ बैठे थे। 27 दिसम्बर को वुहान शहर में कोरोना नामक बिमारी फैलने और इससे लोगों के मरने  की सूचना सरकार को दी गई। इसके बाद धीरे-धीरे वैश्विक महामारी का रूप ले लिया

सूर्यग्रहण 26 दिसम्बर 2019

कोरोना वायरस का ज्योतिषीय विश्लेषण : भारत से कब समाप्त होगा ?

यदि उपर्युक्त चार्ट  का विश्लेषण भारत की कुंडली को ध्यान में रख कर करे तो धनु राशि अष्टम स्थान में पड़ता है और 6 ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, केतु और शनि इसी घर में स्थित थे। इसी दिन सूर्यग्रहण ( solar eclipse ) भी हुआ था सूर्यग्रहण में ग्रहण सूर्य ( Sun) का लगता है सूर्य सरकार ( Govt) और आत्मा का कारक ग्रह है अतः मतलब साफ़ है सरकार और सरकार की आत्मा “प्रजा” के ऊपर ग्रहण वा संकट लगना। परन्तु किसी भी ग्रहण का  परिणाम तुरंत नहीं दिखता है बल्कि धीरे धीरे दिखाई देता है। अष्टम भाव के दोनों ओर के घरों में भी “शुक्र” और “मंगल” ग्रह थे।

इन सभी 6 ग्रहों को राहु ( Rahu) अपने उच्च राशि मिथुन ( मिथुन राशि नाक, गला, कान का कारक है ) तथा अपने ही नक्षत्र आद्रा में बैठकर सभी 6 ग्रहों को  देख रहा है। ज्योतिष में राहु ग्रह संक्रमण ( Infection) फ़ैलाने वाला ग्रह है। इस ग्रह को म्लेच्छ  ( देश से बाहर रहने वाले लोग ) भी कहा जाता है। सभी ग्रह भारत की कुंडली में अष्टम स्थान में बना है। अष्टम स्थान मृत्यु का घर माना जाता है। कालपुरुष की कुंडली में वृष राशि मुख (Mouth) तथा मिथुन राशि नाक, कान और गले का प्रतिनिधि करता है स्पष्ट है बाहर के लोगों के द्वारा ( foreigner or abroad visitor person) नाक, मुँह, गले और फेफड़े में फैलाये गए संक्रमण से मौत।

इस समय राहु ( Rahu) अपने उच्च राशि मिथुन में भ्रमण कर रहा है जो भारत की कुंडली के दूसरे अर्थात धन भाव में है। धन स्थान से षष्ठ ( रोग भाव) अष्टम ( गुप्त, अचानक हानि )  और कर्म स्थान को देख रहा जो रोग के ऊपर अनियोजित खर्च ( Unplanned Expense ) और अचानक धन हानि ( Loss ) की ओर संकेत कर रहा है। इस समय सरकार को रखे हुए धन खर्च करने का योग भी बन रहा है। Corona Virus COVID 19 an Astrological Reason and Remedies

गोचर में शनि सूर्य ग्रहण के समय गुरु की राशि धनु में था और महत्वपूर्ण बात यह है की 27 दिसम्बर को शनि की डिग्री 26:40:55 थी अर्थात इसी दिन शनि उत्तर अषाढा नक्षत्र में प्रवेश किया था यह नक्षत्र सूर्य(Sun) का है ज्योतिष में शनि सूर्य का पुत्र है परन्तु शनि सूर्य को अपना शत्रु मानता है ( इस तथ्य के पीछे भी कथा है जो यहाँ बताने की आवश्यकता नहीं है) जैसा की मैंने पहले भी बताया है की सूर्य ‘सरकार का” और शनि “प्रजा” का कारक है कहा जाता है की 27 दिसम्बर 2019 को एक डॉक्टर ( प्रजा ) चीन सरकार को कोरोना वायरस के संबंध में सूचना दी और उसके बाद इस वायरस के संबंध में विश्व को पता चला।

स्वतन्त्र भारत की कुंडली

कोरोना वायरस का ज्योतिषीय विश्लेषण : भारत से कब समाप्त होगा ?

ज्योतिष जानने वाले यह जानते है कि शनि का  अपना स्वभाव है “गुप्त रूप में किये गए कार्य को सबके सामने लाना” और शनि अपने स्वभाव के अनुसार कार्य किया यह सर्वविदित है। 24 जनवरी को स्वराशि मकर में प्रवेश किया इससे पहले धनु राशि में था जो भारत की कुंडली में अष्टम (गुप्त) स्थान है जब तक शनि यहां रहा भारत में कोई भी कोरोना का केस नहीं आया परन्तु जैसे ही शनि अष्टम से नवम स्थान अर्थात अपनी राशि मकर में प्रवेश किया उसके बाद से भारत में कोरोना नामक वैश्विक महामारी का केस आया और उसका प्रभाव लगातार बढ़ भी रहा है।

शनि 22 जनवरी 2021 तक सूर्य की नक्षत्र में रहेगा और “शनि जब तक सूर्य के नक्षत्र में रहेगा तब तक सरकार के ऊपर इस महामारी का किसी न किसी रूप में प्रभाव बना रहेगा”।  

मकर में शनि के संबंध में कहा गया है —  मकरे च यदा सौरि: दुर्भिक्षं तत्र दारुणं 

अर्थात शनि यदि मकर राशि ( Capricorn) में हो तो दुर्भिक्ष ( lack,  reduction,  decrease,  shortage,  deficiency, scarcity) अर्थात भयंकर अकालजन्य परिस्थितियां बनेंगी। अतः स्पष्ट है की जब तक शनि मकर राशि में होगा अर्थात ढाई साल तक भारत ही नहीं पुरे विश्व में आर्थिक मंदी तथा सामाजिक और पारिवारिक समस्या इस तरह से परेशान कर सकती है की लोग जिंदगी भर याद रखेंगे।

22 मार्च से मंगल ( Mars) अपने उच्च राशि मकर में गोचर किया है । मंगल पुलिस, सेना और सेनापति के कारक हैं और शनि प्रजा और न्याय के कारक हैं, ऐसी स्थिति में मंगल शनि के घर मकर राशि में प्रजा कारक शनि के साथ मिलेंगे ( क्योकि इस समय शनि भी अपने ही घर में गोचर कर रहें हैं  परिणामस्वरूप उच्चस्थ सेनापति मंगल अर्थात पुलिस प्रजा को अपनी शक्ति का एहसास कराएगी। प्रजा के साथ नोकझोंक बढ़ सकता है। 

मकर राशि पृथ्वी तत्व की राशि हैं जिसके स्वामी शनि ग्रह हैं। मंगल से शत्रुवत व्यवहार होने के कारण यह पृथ्वी पर भी असर डालेंगे। यहीं नहीं भारत की कुंडली में  मकर राशि भाग्य वा फार्च्यून स्थान स्थित है अतः भविष्य के लिए बनाएं गए योजना में अवरोध आएगी।

गुरु( Jupiter) इस समय धनु राशि में केतु के साथ तथा राहु की दृष्टि से प्रभावित है गुरु ज्योतिष में “विस्तार’ ( spread ) का कारक ग्रह है केतु ( Ketu) के साथ है केतु संक्रमण का कारक है अतः गुरु केतु के साथ मिलकर संक्रमण को फैला रहा है। गुरु अष्टम भाव से 12 वें भाव ( हॉस्पिटल, जेल इत्यादि ) दूसरा भाव ( धन, परिवार ) चतुर्थ भाव (अपना घर, सुख ) को देख रहा है स्पष्ट है परिवार के सभी सदस्य अपने घर में जेल अथवा अस्पताल की तरह कैद होकर रहेंगे । 

चैत्र माह की अमावस्या से यानी कि 24 मार्च 2020 से इस कोरोना वायरस केस में धीरे धीरे वृद्धि दर्ज होगी क्योंकि इस समय बृहस्पति अतिचारी होकर 30 मार्च से अपनी नीच राशि में प्रवेश करेंगे, जहां शनि और मंगल पहले से ही विराजमान हैं। स्पष्ट है पुनः एक बार तीन ग्रह एक साथ होंगे इसमें गुरु वक्री होकर 29 जून तक रहेंगे सूर्य के नक्षत्र में रहेंगे। शनि वक्री होकर सम्पूर्ण वर्ष सूर्य के नक्षत्र में रहेंगे। यह बिमारी अपनी गंभीरता धारण किये हुए रहेगा।

परिणाम स्वरूप इसका प्रभाव अधिक मात्रा में “जून” तक रहेगा पुनः कम हो जाएगा परन्तु इसका कमोबेश प्रभाव सम्पूर्ण वर्ष रहेगा। “

सूर्य को ज्योतिष में आत्मा, राजा अथवा सरकार का कारक कहा गया है और विगत मार्च 14 से गोचर में सूर्य, मीन राशि में प्रवेश किया है और 13 अप्रैल तक होगा, मीन राशि में सूर्य जब गोचर में होता है तो इसे खरमास कहा जाता है और इस मास में कोई शुभ कार्य नहीं करने का विधान है क्योंकि इस राशि में सूर्य मलिन अवस्था में होता है। सूर्य के मलिन स्थिति का मतलब होता है सरकार का चिंताग्रस्त होना और यह स्थति तब आती है  जब देश के अंदर कोई प्राकृतिक आपदा, युद्ध जैसा माहौल,  आतंकवादी आक्रमण, जातीय हिंसा, आर्थिक मंदी, राजनीतिक अस्थिरता इत्यादि अनेक कारण हो सकते है।    

आने वाले 14 अप्रैल 2020 से सूर्यदेव अपने मित्र के घर में तथा अपनी उच्च राशि मेष में 14 अप्रैल से 14 मई तक गोचर करेंगे। भारत की कुंडली में प्रजा भाव ( चतुर्थ स्थान ) का स्वामी सूर्य है और गोचर में सूर्य की स्थिति अच्छी नहीं है। चुकी सूर्य सरकार और आत्मा का कारक ग्रह है अतः इस राशि में आने से सरकार और सरकार की आत्मा प्रजा के अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा परन्तु देश के अंदर चल रही कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी से बहुत राहत मिलने की उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि भारत की कुंडली में सूर्य प्रजा भाव का स्वामी है और सूर्य गोचर में बारहवें भाव में होंगे और यह भाव हॉस्पिटल का है अतः स्वाभाविक है प्रजा (peoples) हॉस्पिटल में होगी हाँ उच्च के होने से कुछ राहत मिल सकती है लेकिन ज्यादा उम्मीद भी नहीं रखें।

14 अप्रैल से 27 अप्रैल तक सूर्य केतु के नक्षत्र में होगा केतु अष्टम स्थान में है अतः इस समय मरने वालों या कोरेन्टाइन मरीज की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है इसके बाद सूर्य शुक्र( Venus) के नक्षत्र में 28 अप्रैल से 10 मई तक रहेगा और शुक्र भारत की कुंडली में लग्नेश और रोगेश है अतः देश को रोग (disease) से लड़ना ही होगा परन्तु यह अंतिम चरण में होगा। इसके बाद सूर्य अपने नक्षत्र में प्रवेश करेंगे स्वयं के नक्षत्र में आने से वायरस का का प्रकोप कम होना शुरू हो जाएगा। जहाँ तक मेरा विश्वास है की इसके बाद जैसे ही सूर्य बारहवें ( अस्पताल ) भाव से निकलकर लग्न में आएगा तब सब कुछ नार्मल होने लगेगा।

उपर्युक्त विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है की सूर्य जब 15 मई को वृष में प्रवेश करेगा तो उसके बाद लॉक डाउन जैसी स्थिति में कुछ कमी हो सकती है। पूरा जून गुरु और शनि की युति मकर राशि में होगी अतः जून तक तो समस्या बनी ही रहेगी परन्तु इसके बाद धीरे धीरे सुधार होगा तथा गुरु और केतु की युति 20 सितम्बर 2020 तक अष्टम भाव में रहेगा अतः तब तक कमोबेश इस बीमारी का प्रभाव बना रहेगा। अतः सरकार द्वारा समय समय पर दिए गए दिशा-निर्देश का अक्षरशः पालन करें और स्वस्थ रहें जान है तो जहान है। जय भारत

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *