Inter Caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण

Inter caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण

Inter Caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण. सामान्यतः विवाह का यह संस्कार परिवारजनों की सहमति या इच्छा से अपनी जाति, समाज या समूह में ही किया जाता है फिर भी ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहां विवाह परिवार की सहमति से न होकर स्वयं की इच्छा से किया जाता है। वर्तमान समय में तो माता-पिता भी अपनी जिद्द छोड़कर लड़का-लड़की की पसंद को अपनी स्वीकृति प्रदान कर रहें हैं चाहे उन्हें पसंद हो या न हो।
यह भी सत्य है की लगभग 90 प्रतिशत प्रेमविवाह अपनी समाज या जाति से बाहर अर्थात अन्तर्जातीय ही होते हैं। ज्योतिष में जातक के जन्मकुंडली में स्थित ग्रह के स्थिति के आधार पर यह भविष्यवाणी की जा सकती है की अमुक व्यक्ति का विवाह अन्तर्जातीय विवाह माता-पिता की मर्जी से होगा या अपनी मर्जी से।

ज्योतिषशास्त्र में सभी विषयों के लिए एक निश्चित भाव का निर्धारण किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा —

Inter Caste Marriage | अन्तर्जातीय विवाह हेतु निर्धारित भाव

लग्न भाव जातक स्वयं। यह भाव जातक के व्यक्तित्त्व एवं स्वभाव को बताता है।
द्वितीय भाव यह भाव वाणी एवं परिवार में घर से बाहरी सदस्य का अपने परिवार में जुड़ने का प्रतिनिधित्त्व करता है।
पंचम भाव बुद्धि, प्रेम या प्यार का स्थान ।
सप्तम भाव पत्नी वा विवाह का भाव।
नवम भाव भाग्य स्थान, परंपरा व धार्मिकता तथा इनके के विरुद्ध किए जाने वाले कार्य के सम्बन्ध में बताता है।
एकादश भाव लाभ स्थान, इच्छा पूर्ति का भाव है।
द्वादश भाव शय्या सुख ( Bed pleasure) का स्थान।

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वहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदान किया गया है। यथा “शुक्र ग्रह ( Venus)” को प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है।

अन्तर्जातीय विवाह हेतु निर्धारित ग्रह

शुक्र ( Venus) – यह ग्रह सुन्दरता, आकर्षण, प्रेम, वासना, भोग-विलास, यौन, आचरण, इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है। प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है इसके बिना सम्बन्ध हो ही नहीं सकते ।
मंगल (Mars)– यह ग्रह साहस, पराक्रम, धैर्य, छल-कपट, बल इत्यादि का प्रतिनिधित्व
करता है। स्त्री की कुंडली में “ मंगल ग्रह ” प्रेम का कारक माना गया है। यह स्पष्ट है की प्रेम
और अन्तर्जातीय विवाह बिना साहस, बल व धैर्य के सम्भव नहीं है।
गुरु (Jupiter) – स्त्रियों ( Female) की जन्मकुंडली में यह ग्रह पति कारक है साथ ही प्रेम ( Love) तथा धर्म भाव का कारक भी है अतः प्रेम और धर्म में परिवर्तन में गुरु ग्रह का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
राहु-केतु (Rahu Ketu) – राहु केतु ग्रह म्लेक्ष जाति का कारक ग्रह है तथा यह ग्रह व्यक्ति को परम्परा से दूर रखता है।
शनि (Saturn) – शनि ग्रह का विवाह कारक भाव तथा ग्रह से सम्बन्ध होने से दूसरी जाति से सम्बन्ध दर्शाता है।

Inter Caste Marriage | अन्तर्जातीय विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत वा नियम

Inter-Caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण
  1. पंचम और सप्तम भाव तथा भावेश का मंगल ( Mars) तथा शुक्र (Venus) के साथ सम्बन्ध प्रेम विवाह ( Love Marriage) देता है क्योकि पंचम भाव प्रेम का भाव है और सप्तम भाव विवाह का अतः जब पंचम भाव का सम्बन्ध सप्तम भाव भावेश से होता है तब प्रेमी-प्रेमिका वैवाहिक सूत्र में बंधते हैं। यदि उपर्युक्त कथन में शनि राहु-केतु का सम्बन्ध होता है तो जातक अन्तर्जातीय विवाह करता है।
  2. पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा लग्नेश का किसी भी प्रकार से परस्पर सम्बन्ध हो रहा हो तो जातक का विवाह स्वयं के पसंद से अथवा प्रेम विवाह ( Love Marriage )होता है यदि अशुभ ग्रहो राहु शनि मंगल आदि का भी सम्बन्ध बन रहा है तो प्रेम अन्तर्जातीय होता है और विवाह में अनेक प्रकार की समस्या आती है।
  3. लग्नेश-पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा द्वादशेश का सम्बन्ध भी अवश्य ही प्रेमी-प्रेमिका को वैवाहिक बंधन बाँधने में सफल होता है।
  4. पंचमेश और नवमेश की युति प्रेम और प्रेम विवाह को दर्शाता है।
  5. दूसरे भाव में यदि पाप ग्रह शनि (Saturn) राहु-केतु इत्यादि है तो अन्तर्जातीय विवाह की ओर संकेत करता है।
  6. लग्नेश का सप्तम भाव या भावेश के साथ शनि या राहु से सम्बन्ध बन रहा हो तो अन्तर्जातीय विवाह होता है।
  7. सामान्यतः यह देखा गया है कि अंतर्जातीय विवाह में परिवार और समाज की मान्यता नहीं मिलने से आपस में विवाद होता है यह विवाह शत्रुता में परिणत हो जाता है इस कारण कुंडली के छठे भाव तथा भावेश का महत्त्व बढ़ जाता है अतःयदि लग्नेश या सप्तमेश का छठे भाव वा षष्ठेश से सम्बन्ध बनता है तो अंतर्जातीय विवाह की सम्भावना बढ़ जाती है।
  8. मंगल-शुक्र की युति या दृष्टि संबंध किसी भी भाव में है तो जातक अपने जीवन में किसी न किसी से प्रेम अवश्य करेगा और यदि सप्तम नवम तथा लग्नेश से संबंध बन रहा है तो प्रेम विवाह हो जाता है। साथ ही यदि राहु केतु के साथ युति दृष्टि बन रही हो तो प्रेम अन्तर्जातीय होता है।
  9. लग्नेश तथा सप्तमेश का एकादशेश वा एकादश भाव से सम्बन्ध या इस भाव में स्थित ग्रह का पंचम भाव भावेश से संबंध और शुक्र ग्रह के साथ या उपर्युक्त संबंध में राहु या शनि ग्रह के होने से अन्तर्जातीय विवाह होता है।

ध्यातव्य बातें – उपर्युक्त नियम लग्न चंद्र लग्न तथा नवांश चार्ट में मिलाकर देखना चाहिए न कि केवल लग्न से।

Rajiv Gandhi – Date of Birth- 20 August 1944, Time of Birth – 8:00 Am, Place of Birth – Bombay ( Maharashtra)

Inter caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण
Inter caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण
उपर्युक्त जन्मकुंडली भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी की है उदाहरण कुंडली में लग्न में लग्नेश, द्वितीयेश, पंचमेश एकादशेश तथा द्वादशेश की युति है तथा सभी ग्रहों की दृष्टि सप्तम भाव पर है।
सप्तमेश शनि लाभ स्थान में स्थित होकर पंचम भाव तथा पंचमेश गुरु को देख रहा है। सप्तमेश शनि राहु ग्रह के नक्षत्र में है तथा राहु सप्तमेश शनि के नक्षत्र में है इस कारण जातक की शादी न केवल अंतर्जातीय हुई बल्कि विदेशी लड़की के साथ हुई।

1 thought on “Inter Caste Marriage | ज्योतिष में प्रेम व अन्तर्जातीय विवाह के कारण”

  1. Date of birth12- 04- 1997 birth time 4: 43 am place Meerut meri marriage life kaise rhage btaye plzz

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