Karwa chauth | करवा चौथ की पूजा कैसे करें

Karwa chauthKarwa chauth / करवा चौथ की पूजा कैसे करें व्रत की सफलता में पूजा विधि का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है आइये जानते है Karwa chauth / करवा चौथ की पूजा कैसे करें। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 27 अक्टूबर 2018 को है अतः  उससे एक दिन पहले ही अर्थात 26 अक्टूबर को ही पूजन सामग्री इकट्ठा कर लेनी चाहिए ताकि व्रत वाले दिन आप परेशान न हो। सुहाग के प्रतीक मेहंदी लगवाने का कार्यक्रम भी एक दिन पूर्व ही कर लेना चाहिए। व्रत के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर सरगही कर लेना चाहिए इसके कुछ समय के बाद (सूर्योदय अथवा सूर्योदय बाद)  नित्य-क्रिया, स्नान आदि से निवृत्त होकर होकर नए अथवा स्वच्छ वस्त्र पहनकर (लाल वस्त्र, सुहागिन, वस्त्र काला नहीं होना चाहिए) पुरे श्रृंगार के साथ सर्वप्रथम अपने पूजा घर में स्थित शिव पार्वतीजी के प्रतिमा के पास जाकर अपने पति (सुहाग) के दीर्घायु,आरोग्य तथा अपने अखंड सौभाग्य हेतू संकल्प  लेकर पूरा दिन निराहार वा निर्जला रहना चाहिए।  इसी संकल्प  के साथ करवा चौथ का व्रत प्रारम्भ करना चाहिए। पूजन के समय सर्वप्रथम निम्न मन्त्र का का मन ही मन अथवा बोलकर उच्चारण करना चाहिए।

करवा चौथ व्रत मुहूर्त 2018

मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। 

Karwa chauth / करवा चौथ की पूजा कैसे करें

करवा चौथ(Karwa chauth) के दिन  भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चन्द्रमा की पूजा करना चाहिए।  पूजा हेतू अपने घर के किसी एक कोने में अथवा छत के ऊपर  किसी एक कोने में मिटटी  अथवा गोबर से लिप कर बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बना लेना चाहिए। स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाना चाहिए। उसके बाद  ऊपर कहे गए सभी देवों को एक एक करके स्थापित कर लेना चाहिए। यदि मूर्ति न हो तो सुपारी पर नाड़ा अमुक अमुक देवता की भावना करके स्थापित कर लेना चाहिए।

गणेशजी के लिए गाय के गोबर की मूर्ति बना सकते है।Karwa chauth / करवा चौथ का व्रत पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए ही किया जाता है।  पिसे हुए चावल के घोल से करवा को चित्रित करना चाहिए।  दीवार पर गेरू से फलक बनाना चाहिए। आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और पक्के  पकवान  बनाना चाहिए। पुनः मिट्टी से गौरी बनाकर उनकी गोद में गणेशजी को बैठा देना चाहिए।

इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए की  गौरी को लकड़ी के आसान पर ही बिठाये। पुनः गौरी को चुनरी, बिंदी आदि से श्रृंगार करना चाहिए तत्पश्चात जल से भरा हुआ लोटा रखना चाहिए।

Karwa chauth

बयना देने हेतू मिटटी के करवे में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा अथवा नैवेद्य  उसके बाद अपने सामर्थ्यानुसार दक्षिणा भी रख देना चाहिए। करवा पर रोली से स्वास्तिक  चिन्ह बनाना चाहिए। इसके बाद गौरी- गणेश और चित्रित करवा की पूजा अपने अपने कूल-परम्परानुसार करना चाहिए।  पूजा के दौरान मन शांत तथा पति की लम्भी उम्र और मंगल कामना से युक्त होना चाहिए।

Karwa chauth | करवा चौथ व्रत : क्यों करना चाहिए ?

शाम की पूजा

शाम की पूजा चार बजे के आसपास होती है यह पूजा सामूहिक अथवा व्यक्तिगत किसी भी तरीके से कर सकते है। शाम को निम्न मन्त्र —

नम: शिवाय शर्वाण्य सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’

कहते हुए करवा पर 13 बिंदी रखना चाहिए उसके बाद गेहूं 13 दाने( अपनी परम्परानुसार) हाथ में लेकर  करवा चौथ की कथा सुनाना चाहिए। कथा श्रवण के बाद  करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासू माँ के  पाँव छुकर सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद लेना चाहिए और करवा उन्हें  दे देना चाहिए।  गेहू के १३ दाने और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लेना चाहिए।

पुनः रात में चंद्रोदय होने पर  छलनी की ओट से  चन्द्रदर्शन तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद छलनी से पति को देखें और आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद पति के हाथ से जल पीकर करवा चौथ का व्रत तोडना चाहिए। उसके बाद उन्हें भी भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर अपने व्रत को संपन्न करें।

Karwa chauth / करवा चौथ पूजा में किस मंत्र का प्रयोग करना चाहिए 

ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का ‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से कार्तिकेयजी का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।

दिल्ली में चंद्रोदय समय :- 7:55 मिनट सांध्य

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