सप्तम वा विवाह भाव में सूर्यादि ग्रहों की युति फल | Sun Conjunction in 7th House

सप्तम वा विवाह भाव में सूर्यादि ग्रहों की युति फल | Sun Conjunction 7th House. ज्योतिषशास्त्र में सप्तम भाव को विवाह, शादी वा कलत्र भाव से जाना जाता है। किसी भी जातक का दाम्पत्य सुख कैसा है उसका निर्णय जन्मकुंडली में सप्तम भाव, भावेश तथा कारक के शुभ अशुभ स्थिति के आधार पर ज्योतिषी करते है। कहा जाता है कि जन्मकुंडली के सातवें भाव में जो भी ग्रह बैठे होते हैं उनके अनुसार व्यक्ति के जीवनसाथी का स्वभाव होता है। यही नहीं इस भाव में स्थित ग्रह दाम्पत्य जीवन की दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है।

ग्रहों के एक ही राशि अथवा भाव में युति-प्रतियुति के अर्थ को जानकर व्यक्ति के जीवन मे आनेवाली शुभाशुभ फल को शीघ्र ही बताया जा सकता है। जब दो ग्रह एक ही राशि अथवा भाव में स्थित होते है तो ग्रहों की इस अवस्था को युति कहते है। शुभ ग्रहों की युति शुभ फल देती है वहीं अशुभ ग्रह या अशुभ स्थानों के स्वामियों की युति अशुभ फल प्रदान करने वाली होती है।

जो जातक यह जानने के लिए इच्छुक हैं कि सूर्य ग्रह के साथ अन्य ग्रहों की युति होने पर दाम्पत्य जीवन अथवा जीवन साथी ( Life Partner ) कैसा होगा तथा इसका क्या प्रभाव होगा वे इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं तथा यह जानकर सकारात्मक दृष्टि से निर्णय लेकर दाम्पत्य जीवन का आनंद ले सकेंगे।

सूर्य | Sun

सूर्य ग्रह का मानव जीवन से सीधा सम्बन्ध है सूर्य सिंह राशि का स्वामी है तथा यह मेष राशि में उच्च का एवं तुला राशि में नीच का होता है। इसका रंग नारंगी है तथा इसकी प्रकृति उष्ण है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का स्वभाव तामसिक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को आत्मा कहा गया है। सूर्य ग्रह पिता, मान सम्मान, आदर, यश, सरकार, सरकारी नौकरी, मंत्रीपद इत्यादि का कारक ग्रह है। अतः किसी भी जातक के व्यक्तिगत जीवन में उपर्युक्त विषय का विचार सूर्य ग्रह से किया जाता है।

सप्तम वा विवाह भाव में सूर्यादि ग्रहों की युति फल | Sun Conjunction in 7th House

सप्तम भाव में सूर्य-चन्द्र युति फल | Conjunction of Sun-Moon in 7 House

यदि आपकी जन्मकुण्डली के सप्तम भाव में सूर्य -चन्द्र की युति है तो जातक को अपने जीवनसाथी से अपमानित होना पर सकता है। दाम्पत्य जीवन के सुख में किंचित कमी होती है खासकर मकर तथा कुम्भ लग्न के जातक को। इस योग के कारण दाम्पत्य जीवन को लेकर मानसिक चिन्ता बनी रहती है। यदि अशुभ ग्रह की दृष्टि होती है तो शादी में देरी तथा अकारण क्लेश की स्थिति बनी रहती है। सूर्य क्रोधी तथा अहंकारी स्वभाव का ग्रह है वही चन्द्रमा शीतल तथा भावना प्रधान ग्रह है दोनों के साथ होने से पति-पत्नी में अहम् को लेकर टकराव बनी रहती है।

विवाह भाव में सूर्य-मंगल की युति फल | Conjunction of Sun-Mars in 7 House

सप्तम भाव मे जब सूर्य व मंगल दोनों ग्रह एक साथ स्थित हों, तो दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ नहीं होता है। मंगल मांगलिक योग देता है तो सूर्य दाम्पत्य जीवन से पृथकता प्रदान करता है इसी कारण यह योग होने पर जातक को शादी के उपरान्त कुछ समय अपने जीवनसाथी से अलग रहने की स्थिति से गुजरना पडता है। इस योग में तो दोनों में वाक्युद्ध के साथ साथ मारपीट की भी नौबत आ जाती है। इस योग के कारण विवाह में देरी होती है। तलाक से भी इंकार नही किया जा सकता।

सप्तम भाव में सूर्य-बुध की युति फल | Conjunction of Sun-Mercury in 7th House

सूर्य-बुध की युति बुधादित्य योग का निर्माण करता है यदि जन्म कुण्डली के विवाह सप्तम भाव में यह योग बन रहा है तो दाम्पत्य जीवन में खटास और मिठास दोनों का संगम पूर्ण जीवन व्यतीत होता है। पति पत्नी के मध्य मधुर सम्बन्ध होता है हां यदि बुध अस्त है तो अशुभ प्रभाव में देता है। दोनों एक दूसरे को समझने की कोशिश करते है। पति पत्नी दोनों हमेशा यंग दिखते है। दोनों मिलकर धनार्जन करने का प्रयास करेंगे और यदि नहीं करते है तो उन्हें करना चाहिए इससे धन-धान्य की वृद्धि होती है।

यदि सूर्य और बुध दोनों शुभ भाव का स्वामी होकर या इनमे से कोई एक उच्च होकर स्थित है तो इसका प्रभाव शुभ होता है। ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, बुद्धि चातुर्य में निपुण तथा अग्रसोची होता है। वह अपने बुद्धि बल से जीवन पथ पर आनेवाली परेशानियों का समाधान ढूंढ़ निकालता है।

विवाह भाव में सूर्य-गुरु की युति फल | Conjunction of Sun-Jupiter in 7th House

यदि आपकी जन्मकुण्डली में सूर्य तथा गुरु दोनों की युति सप्तम भाव में हो रही हो तो जातक का जीवन साथी व्यावहारिक होता है आपसी झगड़ो का निपटारा स्वयं ही कर लेते है। जातक की पत्नी या पति में अहंकार भी बहुत होता है परन्तु मानवीय सोच के कारण एक दूसरे के विचारो को समझने की कोशिश करते है।

जातक के जीवन में जीवनसाथी का प्रभाव अधिक रहता है। जीवनसाथी का संबन्ध अपने सगे संबंधियों तथा अपने माता-पिता से अच्छा रहता है। आपका जीवनसाथी एक सच्चा मार्गदर्शक हो सकता है परन्तु इसके लिए आपको अपने अहम का त्याग करना पडेगा। ये दोनों ग्रह अपने से नौ पंचम होने के कारण धन-धान्य की वृद्धि करता है शादी के बाद जातक के भाग्य में वृद्धि होती है। आपका जीवन साथी धार्मिक तथा सयंमित विचारो का पोषक होगा।

सप्तम भाव में सूर्य-शुक्र की युति फल | Conjunction of Sun-Venus in 7th House

यदि सूर्य शुक्र की युति आपके सप्तम भाव वा विवाह भाव में स्थित है तो जातक की शादी देर से होती है। पति-पत्नी के मध्य रिश्ता कर्म से जुड़ा होता है भावनात्मक लगाव होता है परन्तु कुछ कमी के साथ। ऎसे जातक का वैवाहिक जीवन स्नेह, सौहार्द व आत्मिक सुख से युक्त होता है इनका जीवन साथी इनके लिए भाग्यशाली होता है। यदि अशुभ ग्रहो की दृष्टि सम्बन्ध बन रहा है तो भाग्य में कमी भी होती है। यदि शुक्र ग्रह अस्त है तो वैवाहिक जीवन उतना सुखमय नही होता है।

 

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