Effects of Fourth House Lord in Seventh House in Hindi | चौथे भाव के स्वामी का सप्तम भाव में फल, किसी भी व्यक्ति के जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि कारक भाव है अतः इस विषय से सम्बन्धित फल की प्राप्ति चतुर्थ भाव तथा भावेश की जन्मकुंडली में स्थिति पर निर्भर करता है। सप्तम भाव यात्रा, शादी, साझेदारी पिता से लाभ, मारक इत्यादि का भाव है अतः जब चतुर्थेश इस स्थान पर होता है तो जातक की मकान आदि इच्छा की पूर्ति शादी के बाद होती है। प्रायः यह भी देखा गया है कि ऐसा जातक भौतिक सुख को अपने जीवन में ज्यादा महत्त्व देता है ।
सप्तम भाव दूर यात्रा का भी भाव है अतः चतुर्थेश जब सप्तम भाव में होता है तो जातक दूर-दूर की यात्रा करता है यह यात्रा विदेश यात्रा( foreign travel ) के रूप में भी हो सकता है। सप्तम भाव साझेदारी का भाव है अतः आप साझेदारी में कोई कार्य कर सकते है खासकर तब जब किसी भी तरह से दशमेश के साथ सम्बन्ध बन रहा हो। आप चतुर्थ तथा सप्तम भाव के प्रायः फलो का सुख प्राप्त करेंगे। ऐसे जातक की शिक्षा अच्छी होती है।
यवन जातक में कहा गया है ———
सुखेशे सप्तमे लग्ने बहुविद्धया समन्विते।
पित्रार्जितधनत्यागी सभायां मुकवाद भवेत्।।
अर्थात जब चतुर्थेश सप्तम कलत्र भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक विद्यावान होता है और वह अनेक प्रकार के शिक्षा प्राप्त करता है। वह पिता के द्वारा अर्जित धन का त्याग करता है अर्थात ऐसे जातक को पैतृक संपत्ति के प्रति ज्यादा लगाव नहीं होता है। सभा में ज्यादा बोलने वाला नहीं होता है।
आपकी शादी प्रतिष्ठित घर में होगी तथा आपकी पत्नी भी सूंदर और सुशील होंगी हां यदि अशुभ ग्रह का प्रभाव होगा तो दाम्पत्य जीवन में परेशानी ( Problem in Marriage life ) का सामना करना पड़ सकता है यह सब आपके कुंडली में स्थित ग्रह के स्थिति पर निर्भर करेगा। ऐसा जातक प्रायः शादी के बाद वाहन तथा मकान खरीदता है और यदि शादी से पूर्व ही जातक के पास वाहन, मकान आदि है तो वह पुनः नई गाड़ी या मकान खरीदता है या मकान की साज-सज्जा में व्यय करता है।