Effects of Fourth Lord in Third House in Hindi | तृतीयेश तृतीय भाव में फल | आपकी जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन,प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा इत्यादि का कारक भाव है अर्थात जब भी चतुर्थ भाव का स्वामी किसी भाव में जायेगा तब इसी फल को प्रदान करने की कोशिश करेगा । तीसरा घर या भाव यात्रा, साहस, परिश्रम तथा घर से दूर स्थान इत्यादि का कारक भाव है है अतः जब चतुर्थ भाव का स्वामी तीसरे भाव में होगा तो वैसा जातक अपने घर से दूर निवास करता है उसका अपना जन्मस्थान छुट जाता है । कई बार यह भी देखा गया है की ऐसा जातक विदेश में भी निवास करता है। यदि विदेश में न निवास करे तो अपने घर से दूर अवश्य ही रहेगा इसमें कोई संदेह नहीं है।
लोमेश संहिता में कहा गया है —
सुखेशे तृतीयेलाभे नित्यरोगी धनी भवेत् ।
उदारो गुणवान दाता स्वभुजार्जित विलवान।।
अर्थात चतुर्थ भाव का स्वामी तृतीय सहज भाव में है तो वैसा व्यक्ति हमेशा रोगग्रस्त होता है। धन सम्पती का स्वामी होता है। वह उदार तथा गुणवान होता है। वह दान करने में समर्थ होता है। ऐसा व्यक्ति अपने ही परिश्रम से अपने भाग्य का निर्माण करता है।
जन्मकुंडली में चतुर्थेश का तृतीय भाव से सम्बन्ध बनता है तो शिक्षा की दृष्टि से उतना अच्छा नहीं माना गया है। कई बार शिक्षा अधूरी रह जाती है या किसी कारण शिक्षा मे रुकावट आ जाती है । यदि रुकावट नहीं आती है तो वैसे जातक को माध्यमिक कक्षा के पढाई में मन नहीं लगता है।
जन्मकुंडली में यह स्थिति जातक को मानसिक परेशानी भी देता है हलाकि वैसा व्यक्ति हमेशा भविष्य के लिए चिंतित रहता है। माता के साथ इनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं होते है। माता के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है । ऐसा जातक हमेशा कोई न कोई यात्रा करते रहेगा हालांकि यात्रा इनके भाग्यवृद्धि में सहायक होगा । जातक यात्रा का शौकीन होता है। यात्रा से धन भी कमाता है ।